Wednesday 12 July 2017

पीछे रह गए वो दिन...



माँ कहती है हम नींद में मुस्कराते थे
बहुत पीछे रह गए वो दिन जब ख्वाब हमें परियों के आते थे

ज़िन्दगी मुस्करा के दामन में भरी थी
छोटी छोटी ख्वाइशों में खुशियां बड़ी थी
धीरे धीरे न जाने कब ख्वाइशें बढ़ती रही
न जाने कब वो खुशियां सिमटती रही
बहुत पीछे रह गए वो दिन जब एक चॉकलेट से हम खुश हो जाते थे
बहुत पीछे रह गए वो दिन जब ख्वाब हमें परियों के आते थे

एक पल में लड़ाई दूसरे में सुलह थी
शिकवों के लिए कहाँ दिल में जगह थी
रिश्ते मज़बूत हुआ करते थे, अहम् कमज़ोर
न जाने कब बढ़ सा गया मन में उस अहम् का शोर
बहुत पीछे रह गए वो दिन जब एक पल में रूठे दूसरे में मन जाते थे
बहुत पीछे रह गए वो दिन जब ख्वाब हमें परियों के आते थे

माँ कहती है हम नींद में मुस्कराते थे
बहुत पीछे रह गए वो दिन जब ख्वाब हमें परियों के आते थे

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